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(कर्मपथ पर शहीद Yeshwant Sonawane जी को श्रधान्जली)
Yeshwant Sonawane जी को केरोसीन माफिया सरगना पोपट शिंदे और उसके गुर्गों ने इस लिए मिटटी तेल डाल कर जिन्दा जला कर मार डाला क्योंके उन्होंने इन कुत्तों को मिट्टी तेल के टैंकर से तेल निकालते हूए रंगे हाथों पकड लिया था और मोबाइल पर इनकी हरकत को रिकार्ड भी कर लिया था |
इस चौकड़ी ने अब सारी हदें पार करना शुरू कर दी हैं | देश के कण कण पर इस के ज़ुल्मों का असर हो रहा है | इमानदार व कर्मठ अफसरों और कार्मिकों का जीना मुहाल होता जा रहा है | हर देशप्रेमी परेशान है | कुछ भी कर पाने में लाचार है | कोई वश नहीं चल रहा है | जी! मैं जिस चौकड़ी की बात कर रहा हूँ वो है :-
१. भ्रष्ट नेता २. भ्रष्ट पुलिस कर्मी ३. भ्रष्ट अफसरशाह और ४. अपराधी |
गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या २५ जनवरी को मालेगांव में अपना कर्तव्य निभाते हुए, एक और कर्मठ एवम इमानदार अफसर इनका निवाला बन गया| इस चोर चौकड़ी ने देश के हर क्षेत्र में ऐसा जाल बिछा रखा है के कोई भी बच कर नहीं निकल सकता | ” या तो हमें लूटनें दो या खुद मिटने के लिए तैयार रहो” | ये है इनका आदर्श वाक्य | न चाहते हुए भी कितने ही सत्चारित्त्र लोगों को इनकी संस्कृति में रंगना पड़ा है कोई नहीं जानता |
सब जगह इन कुत्तों का शासन कायम हो रहा है |
मैं इनकी तुलना गिद्धों से करने वाला था लेकिन सोचने पर समझ आया के ये तो गिद्धों का अपमान होगा जो अपने असूल के पक्के होते हैं | जब तक जानवर मर न चुका हो उसे छूते तक नहीं | महीनों भूखे रह कर सूखी डाल पर बैठे बैठे मर जायेंगे मगर किसी जीव की हत्या नहीं करेंगे | छोटी चिड़ियाँ भले ही पीठ पर बैठ जाएँ कुछ नहीं करेंगे | इंसान कितना नीच दिख रहा है इन के मुकाबले |
सन १९९७-९९ के दौरान एक कर्मठ गृह सचिव श्री एन० एन० वोहरा जी ने एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को इस चौकड़ी के बारे में पेश की थी, “politicians , police, bureaucrats and criminal nexus “, जिस में आगाह किया गया था की ये चौकड़ी धीरे धीरे हाथ से निकलती जा रही है | मुझे नहीं पता सरकार ने क्या कदम उठाये | पर नतीजे सामने हैं | हम क्या कर सकते हैं जब इतने कर्मठ गृह सचिव और न जाने कितने कमीशन अपनी रिपोर्ताज दे दे कर नेपथ्य में चले गये तो हमें कौन सुनेगा?? क्यों सुनेंगे जब इस कम्पनी के आधे शेयर इन्हीं के पास हैं ?? फिर भी मैं जागरण ब्लॉग मंडली से निवेदन करूंगा के अगर देश को बचाना है तो अपना पूरा जोर इस दिशा में लगाना पड़ेगा |
सरकार से एक निवेदन : जो आक्रान्ता,, पोपट शिंदे, ७५% जलने के बाद अस्पताल में है उसका सही इलाज किया जाये | उसकी बहादुरी (चौकड़ी के लिए तो उसने बहादुरी ही की है ) को प्रतिदिन टी वी चैनलों पर दिखाया जाए ताकि चौकड़ी के भागीदारों, वर्ण शंकरों को ये सोचना पड़े के कर्तव्य के प्रति समर्पित शहीद होते होते भी अपराधी को पकड़ने में सफल हुआ | जैसे जैसे वो सड़ सड़ कर, तिल तिल मरेगा, इस चौकड़ी के भागीदारों को देख कर कुछ तो अहसास होगा के एक दम मरने और तिल तिल मरने में कितना अंतर होता है ?
कश्मीर पर हम काफी कुछ कहते सुनते रहते हैं पर आज तक हमने नहीं सुना के वहाँ किसी को इस भांति तेल छिड़क कर जलाया गया हो |
बचाओ दोस्तों ! बचाओ !! मेरे प्यारे भारत को बचाओ ! जय भारत |
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