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चीन की चमक ……आखिर राज क्या है?

Drishtikon
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मुझे यह देख कर बहुत हैरानी, बल्कि परेशानी, होती आ रही है कि चीन अपने उत्पाद इतने सस्ते कैसे बेच पा रहा है ? जब दुनिया भर में महंगाई का आलम ये है के हर चीज़ सुबह से शाम तक महंगी होती जा रही है, तो चीन के पास ऐसा क्या जादू है के उसके उत्पाद बेहद सस्ते हैं ?
मैं ने कुछ चीजों का विश्लेष्ण किया तो पाया के कुछ चीजें तो उनके कच्चे माल की कीमत से भी सस्ती हैं | कल ही मैं ने एक लाईटर खरीदा जो आम बीडी पीने वाले अपने पास बीडी सुलगाने के लिए रखते हैं | मुझे यह सुन कर हैरानी हुई के ये सिर्फ दस रुपये का है ! मैं ने दुकानदार से कहा “भाई जी इतना महंगा क्यों”? वो बोले “बाबु जी थोक में एक पीस सात रूपये का पड़ता है | हम भी तो कुछ कमाने के लिए ही बैठे हैं | चलिए आप नौ रुपये दे दीजिये”| हैरानी हुई| दूकान दार इस पर भी पैंतीस प्रतिशत कमा रहा है फिर भी दस रूपये !! और हैरानी की बात ये है कि ये सिर्फ लाईटर नहीं , इस में एक माईक्रो टोर्च भी है जो वक़्त पड़ने पर कहीं भी, कभी भी रौशनी दे सकती है !!!
मैं ने लाईटर के पुर्जे खोल कर अलग अलग किये, उन का विश्लेष्ण किया | १५ भागों में खोल पाया जिनमें तीन पुर्जे, माईक्रो टोर्च, माईक्रो गैस सिलिंडर और माईक्रो गैस लाईटर असेम्बली के रूप में हैं जिन्हें खोलना ठीक नहीं लगा, इनमें और भी माईक्रो आकार के पुर्जे लगे हैं| लीजिये आप भी देखिये :
Chinese Lighter and its parts
यदि आप चित्र में देखें तो सबसे बाएं जुड़ा हुआ लाईटर है और दाहिने ओर उसके खुले हुए पुर्जे हैं | ऊपर से नीचे इन पूजों का मूल्याङ्कन करते हैं और साथ में इनकी कम से कम कीमत भी आंकते चलते हैं :
एक पेच = पचास पैसे | गैस रेगुलेटर नोब =पचास पैसे| एल० ई० डी० बल्ब =दो रूपये | टोर्च= दो रूपये| स्प्रिंग= पचास पैसे | स्विच =पचास पैसे | तीन बटन साईज बैटरियां जो हाथ घडी में भी पड़ती हैं और तीस रूपये से कम नहीं होतीं लेकिन यहाँ हम तीनों के = पचास रुपये मान लेते हैं| स्विच कनेक्टर = पचास पैसे | माईक्रो गैस सिलिंडर में नोजल है , रेगुलेटर है , अन्दर एंटी स्पील पाईप है, नीचे रिफिल होल है, वाश्रें हैं, पांच मि० ली० गैस है = कम से कम बीस रुपये | कॉलर = पचास पैसे| माईक्रो गैस लाईटर जिस में वो सभी पुर्जे माईक्रो रूप में लगे हैं जो किचन में इस्तेमाल होने वाले गैस लाईटर में होते हैं = कम से कम बीस रुपये मान लेते हैं | बेस = पचास पैसे| पुश बटन = पचास पैसे | बौडी = एक रुपया | जोड़ = ९९ (निनानवे) रूपये | इस में अगर transportation charge भी जोड़ें तो एक रुपया तो कम से कम है ही | कम से कम एक सौ रूपये !! सौ रुपये!!! और हमें वह चीज दस रुपये में मिल रही है | ये कौन सा कमाल है या करिश्मा है जो चीन कर रहा है ? येही हाल मोबाईल फोन का है | जानी मानी कम्पनियों के फ़ोनों के मुकाबले चीन के मोबाइल चौथाई से भी कम दाम में मिल रहें हैं |
मैं ने और गहराई से मनन किया तो इस नतीजे पर पहुंचा कि चीन का मकसद बहुत दूरगामी है | वोह दुनिया भर के गरीबों का दिल जीतने में लगा है| उसने अभी भी कमुनिस्ट पार्टी का ये विचार नहीं त्यागा है के दुनिया भर के गरीब एक न एक दिन कमुनिज्म को पूजेंगे | इस मकसद को हासिल करने के लिए चीन दुनिया भर के गरीबों की वोह हसरतें पूरी कर रहा जो वो ब्रांडेड उत्पाद के महंगे होने के कारण कभी पूरा नहीं कर सकते | इस मकसद में चीन का हर नेता दिलोजान से सहयोद दे रहा है |
एक हमारे देश के नेता हैं जो वहाँ जाकर भी अपने देश की नाक नीची करने में लगे हैं | वहाँ भी लाल चौक की सियासत दिख रही है | ऐसे नहीं के कुछ सीख कर आओ | केंकड़े की तरह उस की टांग नीचे से खींच कर अपने ही धरातल पर गिराने में लगे रहते हैं जो कुछ अच्छा करने की कोशिश कर रहा हो | देश का पैसा पचास साल से बाहर के बैंकों में ठसा ठस भरते आ रहे हैं| जब दूसरी पार्टी सरकार में आती है तब उन्हें याद आता है |
ऐसे नेताओं का इलाज़ करने में ईश्वर भी असमर्थ दीखते हैं | जय भारत |

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