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दृष्टिकोण का फर्क |

Drishtikon
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महाशय जी !
मैं समय हूं ( सौरी ! मैं तो सिर्फ प्रीतम हूं और बुद्धिजीवी उर्फ़ बनने की फिराक में हूँ ) | मैं नें आप के तकरीबन ज्यादातर आलेख पढ़ डाले हैं | कुछ पर तो विचार दिए हैं कुछ पर नहीं | पर मेरी भी तो सीमा है न ! इस लिए मैं चाहता हूँ के आप सब को निवेदन करूँ के आप खुद वहां पर जाकर देखें जहाँ से मेरी धरती माता सिर्फ एक टपकती हुई बूंद लगती है | full-20earth2
स्टैंड पोईन्ट ( drishtikon ) बहुत अहमियत रखता है , बलके यूँ कहना चाहिए के ये ही सब कुछ है | हमारा दिमाग अजब गजब है | हम ये कभी भी नहीं मानते के हम कम हैं या गलत हैं या के कमक्ल हैं | ये तो थोड़ी दूर जा कर या अपने दोस्त लोगों की सलाह पर गौर करने के बाद या इस तरह कहना चाहिए के “जरा हट के” देखो तो पता चलेगा के जो वर्तमान सोच है वो हकीकत से कितना दूर है ??? अब चाँद के धरातल से मेरी धरती माँ ऐसी नज़र आती है !!!! droplet earth (2)
इसलिए मेरा निवेदन है के थोडा धीरज रख कर आप ये तस्वीर देखने की कृपा कीजिएगा फिर गौर कीजिएगा के मैं जो कहता हूँ वो कहाँ से कह रहा हूँ और जो सुन रहे हैं वो कहाँ से सुन रहे हैं ??? थोड़े में कहो तो किसी चीज़ की सही परख नज़रिये पर निर्भर करती है | और हमारा नजरिया तभी अपडेट होता है जब हम बिना पूर्वाग्रह के किसी चीज़ का आकलन करें | हम सब के ज्ञान की सीमा होती है यह अहसास न होता तो मह्रिषी वशिष्ट ये न कहते कि पुत्र कमेष्टि यज्ञ मैं नहीं करवा सकता | ज्ञान का तात्पर्य ये नहीं के बहुत से महाभारत , पुराण, उपनिषद आदि कंटस्थ हों | किसी भी विधा में कुछ नया मिलने के बाद ज्ञान अपडेट होता है तो नजरिया भी बदली होगा |
मैं कबीर जी का उदाहर्ण पेश करता हूँ : चक्की पीसते पीसते उन्हों ने अनाज कि गति देखी तो उस स्थिति में फंसे आदमी की स्थिति पर ये दोहा कह डाला |

चलती चाकी देख के दिया कबीर रोये |
दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोए ||

ये उनका दृष्टिकोण उस वक्त तक की देखी घटना से उपजा | आगे एक दिन जब वो चक्की का पाट हटा कर उसे साफ करने लगे तो देखा कुछ दाने जो पाट की कीली के आस पास थे वो सुरक्षित थे | कील के सहारे की उपमा मानव के सन्दर्भ में ईश्वर से करते हुए ये दोहा कह डाला =
चलती चाकी देख के दिया कबीरा हसाए |
कील सहारे जो रहे मार सके न कोए ||

हो सकता है इस में मुझ से व्याकरण की कोई भूल हो गयी हो लेकिन जो बात मैं बताना चाह रहा हूँ वो ये है के नया ज्ञान प्राप्त होते ही उनका नजरिया अपडेट हो गया |
अब राजनीती में दुनिया का सबसे बड़ा करिश्मा =
गोर्बाचेव कट्टर कम्युनिस्ट थे, सोवियत संघ की हालत को बदलने के लिए जब उन्हें ये लगा के ये निजाम मुल्क की तरक्की में बाधक है तो बिना वक्त खोये पूरी तस्वीर बदल डाली | उस वक्त वहां कुछ लोगों ने ये भी कहा के ये सी आई ए की चाल में फँस चुके हैं | आज रूस में हालात अच्छे हैं |
बड़ी मुश्किल और शायद ईश्वर की कृपा से पहली बार कोई काम करने वाला प्रधान मंत्री इस देश को मिला है | ये उनकी बदकिस्मती कहें या हालात की बेरुखी के उनके साथ के लोग कुच्छ भी करते जा रहें और लोग उन्हें कहें के कुर्सी छोड़ दो !!! आधी सदी से वोह भारत माता की सेवा कर रहे हैं आज तक हमने नहीं सुना के उनके किसी बेटे बेटी ने या रिश्ते दार नें उनके रसूख का नाजायज़ फायदा उठाया हो | एक कर्मयोगी की तरह काम किये हैं | उनका सिर्फ इतना ही गुनाह है क्या के वो कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं ?? या उनकी ये गलती है के वोह कोवे की तरह या ???? की तरह चिंघाड़ चिंघाड़ कर सभाओं में लाउड स्पीकर नहीं फाड़ डालते ? अगर कांग्रेस नें सोनिया जी को अपना सर्वे सर्वा बना रखा है तो इसमें उनका अपना कोई हित होगा | इसमें आदरणीय मनमोहन जी की क्या गलती है ??

सोनिया जी जिस परिवार की बहू हैं वो आज से चार सौ साल पहले भी एक विख्यात सुसिक्षित पंडित परिवार था, अगर उस परिवार के बेटे नें उन्हें अपनी पत्नी और माता जी ने बहू मान लिया तो औरों को एतराज़ क्यों ??? कुछ दिन पहले उन्हें कोई के जी बी का एजेंट बता रहा था, कोई उन्हें सी आई ए का एजेंट बता रहा था और तुरंत ही कुछ बुद्धिजीवी इस पलीते को लेकर चल दिए | ५ साल १३ महीने १३ दिन एक अलग सरकार रही इस देश में | उस से पहले भी प्रधान मंत्रियों की एक रिले टीम तीन तीन महीने सरकार चला चुके हैं, उनहोंने यह पता लगाया ही नहीं के असल में वो किसकी एजेंट हैं ?? क्योंकि दो धुर विरोधी गुप्तचर संगठनों के एजेंट का पता भारत के बुद्धिजीवियों को तो है लेकिन उन गुप्तचर संगठनों को भी नहीं है और भारत सरकार को भी नहीं है !!!! कुछ चाटुकार उन्हें माता, देवी, या शक्ति आदि विभूषण देते रहते हैं | इसमें उनकी क्या गलती है ?? एक चाटुकार नें तो आठ या दस भुजा वाली देवी के रूप में उनका कलेंडर ही छपवा लिया था | इसमें उनकी क्या गलती है ? हालाँकि उन्होंने इस चाटुकार को उचित फल दिया था | अगर जैचंद इस देश में था तो इसमें गौरी की क्या गलती थी ??? आज भी बहुत से लोगों में वो अनुवांशिक गुण हैं तो इसमें इनकी क्या गलती है ?? कृपया मेरी बात को हकीक़त की कसौटी पर परखें अन्यथा न लें |

६४ करोड़ के बोफोर्स छानबीन पर ३०० करोड़ से ज्यादा खर्च करने के बाद भी उन्हें पता नहीं चला | अब फिर उसी डफली को लेकर आने वाले हैं क्योंके चुनाव जो आने हैं |

लाल चौक पर झंडा फहरा कर शेष भारत में वोट कमाएंगे भले ही सुरक्षा बलों को नाकों चनें चबाने पड़ जाएँ | भला जो अक्साई चिन का इलाका चीन ने दबा रखा है उस पर फहराएँ तो मानें के शेर हैं |

मैं किसी भी राजनैतिक पार्टी का न सदस्य हूँ, न भक्त हूँ , न कभी जिंदगी में ऐसा बनूँगा | लेकिन मेरा विवेक यह जरूर कहता है के अगर सोनिया जी सन्यास ले लें तो कांग्रेस में जो शुन्य होगा वह शुन्य नहीं ब्लैक होल होगा | कांग्रेस कहीं नजर नहीं आयेगी और उस से जो शून्य बनेगा वोह उस से भी बड़ा ब्लैक होल होगा जिस में प्रधान मंत्रियों की अनगिनत रिले टीमें घूमेंगी और आधी दिल्ली उनके हवाले हो जाएगी | ये तो सभी जानते हैं के कैसे होगी ? समझ वालों का मंच है |

इसी लिए मेरा यह निवेदन है के नज़रिये का ख्याल रखना जरूरी है |
धन्यवाद | प्रीतम |

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