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मैं मूर्ख खल कामी …मैं कुमति ?????

Drishtikon
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जिस युग में इस देश में न कोई स्कूल था न कालेज न कोई university तो लोग कितनी महान भावना के साथ प्रार्थना करते थे जैसे : अहम ब्रह्मास्मि , सर्वे भवन्तु सुखिन: ,गायत्री, पूर्णमद पूर्णमिदम पूर्णत …..पूर्नेव अवशिष्यते आदि आदि |
आज प्रार्थनाएं अनेक हैं | उनके स्तर भी अनेक हैं | परन्तु इस देश के ज्यादातर लोग एक ऐसी प्रार्थना सदियों से गाते आ रहे हैं जो मानव के अवचेतन को अवनति की रह पर ठेल देती है |
मनोविज्ञान कहता है के जब आदमी एकाग्र होकर कोई शब्द अपने बारे में सोचता या उचारण करता है तो सुख्श्म स्तर पर उसका प्रभाव व्यक्ति की प्रकृति पर पड़ता है और आत्मसम्मोहन का प्रभाव होता है | व्यक्ति वैसा ही हो जाता है | Alternative Medicine में इस का उदहारण देते हुए एकाग्र होकर “everyday in everyway , I am getting better and better ” का जाप करने से व्यक्ति हर तरह से अच्छा होता जाता है |
पूजा पाठ के समय व्यक्ति एकाग्र होकर जब “मैं मूर्ख खल कामी .. मैं कुमति ” जैसे शब्दों का जाप करेगा तो महान कैसे बनेगा ?????

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